लेज़र तकनीकी (LASER Technology)

Bharat Choudhary 1 7:50:00 pm
LASER - लेज़र
(Light Amplification by Stimulated Emission and Radiation - विकिरण के उद्दीप्त उत्सर्जन द्वारा प्रकाश प्रवर्धन)


Light Amplification by Stimulated Emission and Radiation

  • प्रथम लेज़र थियोडर एच. मैमेन (अमेरिका) द्वारा 16 मई 1960 में बनाई गई थी।
  • सन् 1917 ई. में लेज़र की प्रकाश विद्युत प्रभाव पर आधारित व्याख्या आइन्सटीन द्वारा प्रस्तुत की गई थी।
  • जब किसी प्रकाश को बिंदुवत् अवस्था में फोकसित किया जाता है इसमें सतत् उत्पादित प्रकाश लेज़र कहलाता है। 
  • लेजर आकाशिक रूप से सशक्त (coherent) होती है, जिसका अर्थ है कि प्रकाश एक संकरे, निम्‍न प्रवाहित किरण (low-divergence beam) के रूप में निकलेगा।
  • लेज़र तकनीक फेमेटो तकनीक पर आधारित है क्योंकि इसमें प्रकाश को फेमेटो लेवल (10-15 m) तक बिंदुवत् किया जाता है।
  • लेज़र की संकल्पना— सामान्यत: जब किसी पदार्थ को उच्च ऊर्जा दी जाति है तो उसकी बाहरी कला में विद्यमान इलेक्ट्रॉन (e−) उच्च ऊर्जा स्तर पर चले जाते है तथा इसके विपरित जब ऊर्जा स्त्रोत को हटाया जाता है तो इलेक्ट्रॉन (e−) पुन: निम्न ऊर्जा स्तर में आ जाते है। इस प्रकार मूल ऊर्जा स्तर में जिस कारण ऊर्जा अंतर उत्पन्न होने से ऊर्जा का उत्सर्जन होता है। जब यह उत्सर्जन सतत् होता रहता है तो विकिरण कहलाता है और लेज़र का निर्माण करता है। 
  • निम्न चित्र पर गौर करें जिसमें यह प्रक्रिया दिखाई गई है -


  • किसी भी प्रकाश को, जिसमें निम्न तीन गुण विद्यमान हो, बिंदुवत किया जा सकता है —
    • उच्च क्षमता का प्रकाश (Highly Intensive Light)
      • यह ऊर्जा की दक्षता अथवा क्षमता पर निर्भर करता है।
      • दक्षता (I) = P/A = P/ 4πr^2
      • कम क्षेत्र में अधिक प्रकाश = सर्वाधिक दक्षता
    • एक वर्णी प्रकाश (Monochromatic Light)
      • जब प्रकाश की आवृत्ति समान हो।
      • उदाहरण: Gallium Arsenide (GaAs) लेज़र — डॉ. भाभा द्वारा खोजी गई (1962 ई.)
      • दोनों तत्वों (Element) की आवृत्ति (Frequency) 100% समान होने पर ही क्षमता 100% होगी।
    • उच्च कला संबद्ध प्रकाश (Highly Coherent Light)
      • जब प्रकाश की किरणें समानांतर हो अर्थात् किरणें परस्पर समान कोण बनाती हो।
  • अर्थात् उपर्युक्त तीनों गुणों के मिलने पर 'लेज़र' का निर्माण होता है।
  • इस प्रक्रिया में उपयोग आने वाला पदार्थ 'लीज़िंग पदार्थ' कहलाता है। 
  • सामान्यत: अक्रिय गैस का प्रयोग लीज़िंग एजेंट के रूप में किया जाता है क्योंकि इसका बाहरी कक्षक पूर्ण होता है और इनको ज्यादा एनर्जी देने पर प्रकाश—विद्युत प्रभाव काम करता है।
  • यह अक्रिय गैसे मुख्यत: नियोन-Ne (सर्वाधिक उपयुक्त एजेंट) और आर्गन-Ar होती है।
  • लीज़िंग पदार्थ के आधार पर इन्हें तीन भागों में बांटा जा सकता हैं, यथा —
    • ठोस लेज़र (Solid LASER)
    • द्रव लेज़र (Liquid LASER)
    • गैस लेज़र (Gas LASER)
  • अनुप्रयोग:
    • रक्षा क्षेत्र में — 
      • डी.आर.डी.ओ. (DRDO: Defence Research and Development Organization) द्वारा लेज़र बॉम्ब (LASER BOMB) बनाने में जिन्हें पुंज ​हथियार (Beam Weapons) कहा जाता है।
      • निम्न रेखीय इलेक्ट्रॉन त्वरक रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) द्वारा भारत में विकसित किया जा रहे है।
        • The KALI (Kilo Ampere Linear Injector) - 'e.g. Kali-5000'
        • The MALI (Mega Ampere Linear Injector)
        • The GALI (Giga Ampere Linear Injector)
      • Ye-Ne LASER (ये—ने लेज़र) — यह सटीक निशाना लगाने में काम आती है। इसने  Small Arm System (INSAS) में क्रांति ला दी है।
      • हथियार का पता लगाने वाले रडार (WLR - Weapon Locating Radar) में भी लेज़र का उपयोग किया जाता है।
      • बेटल फिल्ड सर्विलांस रेडार (BSFR) में लेज़र प्रयोग में लाई जाती है।
    • चिकित्सा क्षेत्र में—
      •  लेज़र ने रक्तविहीन आॅपरेशन करना संभव बना दिया है। e.g. गैस लेज़र (CO^2) - आॅंख के आॅपरेशन में
        • कायिक कोशिका का आकार — 10^-9m
        • रक्त कोशिका का आकार — 10^-8m
        • लेज़र बीम का आकार — 10^-15m - अत: रक्त नहीं निकलता
      • इसका आकार फेमेटो लेवल का होने के कारण कोशिकाएं क्षतिग्रस्त नहीं होती।
    • संचार क्षेत्र में —
      • लेज़र प्रिंटर में
      • लेज़र स्केनर में 
      • लेज़र सी.डी., डी.वी.डी. आदि की चुंबकिय पट्टी पढ़ने में
      • आॅप्टिकल फाइबर में सिग्नल प्रेषण में
      • बार कोड रीडर में
    • नाभिकीय तकनीकी क्षेत्र में —
      • एल.आई.एस. (LIS - Laser Isotropic Separator) तकनीकी द्वारा नाभिकीय संवर्धन में लेज़र प्रयोग में लाया जाता है।

    • अंतरिक्ष क्षेत्र में —
      • उपग्रहों को संदेश भेजने में लेज़र का उपयोग किया जाता है।
      • उदाहरण: 
      • 1. सैटेलाइट आई.आर.एस. (IRS) - Sun Stationary Orbit (1000 km) - इसमें मानचित्र उपयोग हेतु पेंक्रोमेटिक कैमरा लगे होते है जो मेज़र (MASER - Mega Amplification by Stimulated Emission and Radiation) तकनीक का प्रयोग करते है।
      • 2. सैटेलाइट इनसेट (INSAT) - Geo-Stationary Orbit (3600-4000 km) - इसमें संचार हेतु ट्रांसपोंडर लगे होते है जो लेज़र व मेज़र दोनों तकनीकों का प्रयोग करते है।
    • विनिर्माण क्षेत्र में —
      • विनिर्माण क्षेत्र में लेज़र का उपयोग उत्पादन को नियंत्रित करने एवं बेहतर रखरखाव हेतु किया जाता है।
      • इसके अतिरिक्त अन्य कई यंत्रों, मशीनों, उपकरणों के निर्माण में लेजर तकनीक का प्रयोग चालू हो गया है।
      • लेजर किरणों द्वारा छोटी-छोटी मशीनों को सटीक आकार दिया जाना संभव हो गया है।
    • खुदरा क्षेत्र में —
      • लेज़र के उपयोग द्वारा खुदरा क्षेत्र में वस्तु से जुड़ी प्रत्येक जानकारी एक बार में ही प्राप्त हो जाती है।
    • होलोग्राफी चित्र बनाने में—
      • त्रिआयामी चित्र तैयार करने में लेज़र का प्रयोग किया जाता है।
      • 1969 में एमेट लीथ और ज्यूरीस उपानिक्स ने लेज़र तकनीक की सहायता से त्रिआयामी होलोग्राफिक चित्र बनाया जिसके लिए दो अलग—अलग शक्ति की लेजर किरणों का इस्तेमाल किया गया। इससे तैयार चित्र अधिक सटीक था और उसकी नकली प्रतिकृति बनाना लगभग असम्भव था।
  • इस प्रकार लेज़र तकनीकी के दैनिक जीवन में अनेक उपयोग हैं जिसे विज्ञान एवं तकनीकी ने संभव बनाया है।
भारत में लेज़र अनुसंधान


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