कर्नाटक में अंग्रेज़ी राज की स्थापना : अंग्रेज़ वि. फ्रांसीसी
1. प्रथम कर्नाटक युद्ध (1746—1748);
2. द्वितीय कर्नाटक युद्ध (17496—1754); तथा
3. तृतीय कर्नाटक युद्ध (1758—1763)

- भारत में फ्रांसीसी गवर्नर डूप्ले ने सन् 1741 में मॉरिशस के गवर्नर लॉ बूर्डोनो की सहायता से कोरोमंडल तट की ओर से मद्रास को अधिकृत (Siege of Madras) करने का प्रयास किया गया तथा इस कार्यवाही में मद्रास के अंग्रेजी अधिकारियों को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर किया गया जिनमें 'क्लाइव' भी शामिल था।
- इस युद्ध का तत्कालिक कारण अंग्रेज़ों (सैन्य अधिकारी बार्नेट) द्वारा कुछ फ्रांसीसी जलयानों को कब्जे में लेना था।
- तत्कालीन बस्तियां -
तत्कालीन
फ्रांसीसी बस्तियां
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तत्कालीन
अंग्रेज़ बस्तियां
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पाण्डिचेरी (मुख्य कार्यालय), मसूलीपट्टनम, कारिकल, माहि,
सूरत तथा चंद्रनगर
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मद्रास,
बंबई तथा कलकत्ता
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- मद्रास के अधिग्रहण ने डूप्ले (Dupleix) और लॉ बोर्डिनो (La Bourdonnais) के मध्य अंतर्विरोध पैदा कर दिया। डूप्ले चाहता था कि मद्रास को कर्नाटक के नवाब को लौटाया जाए क्योंकि उन्होने उसकी सामाओं का अतिग्रमण किया है जबकि लॉ बोर्डिनो मद्रास को अंग्रेजों को लौटाना चाहता था।
- इसी अंतर्द्वंद्व के बीच कर्नाटक के नवाब अनवरूद्दीन ने महफूज खां के नेतृत्व में फ्रांसीसियों पर आक्रमण किया किंतु नवाब पराजित हुआ।
- इस घटना को इतिहास में सेंट टोमे के युद्ध (Battle of St Thome, 4 November 1746) के नाम से जाना जाता है।
- प्रथम कर्नाटक युद्ध सन् 1748 में आॅस्ट्रिया में 'एक्स—ला—शैपेल (Aix-la-Chapelle - वर्तमान में यह स्थल जर्मनी की सीमा में है) की संधि' जिसे 'एकेन की संधि (Treaty of Aachen)' के नाम से भी जाना जाता है, के परिणामस्वरूप समाप्त हो गया तथा मद्रास अंग्रेजों को पुन: प्राप्त हो गया।
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