भारत की खोज और यूरोपीय कंपनियों का भारत आगमन
- तत्कालिक पुर्तगाली शासक हेनरी 'द नेवीगेटर' के प्रयास स्वरूप पुर्तगाल ने समुद्री मार्गों की खोज प्रारंभ की। इसी दौरान बार्थोलोमियोडियाज़ ने अफ़्रीकी महाद्वीप के दक्षिणी छोर आशा—अंतरिप अथवा केप ऑफ गुड होप की खोज सन् 1487 ई. में की। बारटोलोमीयु डियास ने इसका नाम "केप ऑफ़ स्टॉर्मस" (तूफ़ानों का केप) (पुर्तगाली: Cabo das Tormentas) रखा।
- सन् 1492 ई. में स्पेनवासी कोलंबस पश्चिमी मार्ग से भारत की खोज के लिए निकला। वह भारत तो नहीं खोज पाया परंतु उसने नई दुनिया की खोज अवश्य कर ली। यह अमेरिका का 'बहामास' द्वीप था।
- पुर्तगाली निवासी वास्को—डी—गामा, लिस्बन से भारत की खोज के लिए निकला तथा 'अब्दुल मजिद नायक गुजराती' की सहायता से कालीकट पहुंचा तथा सन् 1498 ई. में भारत की खोज की।कालीकट का तत्कालीन शासक जमोरिन था।
- पुर्तगालियों द्वारा भारत में समुद्री तटों पर कारखानों की स्थापना की गई। उल्लेखनीय है कि कारखानों की स्थापना की प्रथा का प्रारंभ इतालवियों ने काहिरा में व एलेक्ज़ेंड्रिया में भण्डारगृहों की स्थापना कर प्रचलित की थी।
भारत से आयात—निर्यात होने वाली वस्तुएं
- गुजरात से — सूती वस्त्र
- कोंकण व मालाबार तट से — मसाले, रेशम, चीनी मिट्टी, लाख, दाल—चीनी, चंदन की लकड़ी, नील, हाथी दांत, सुपारी, इमली आदि
- उत्तर—पश्चिमी भारत से — ताफ्टा (एक प्रकार का कपड़ा)
विशेष वस्तुएं एवं उत्पादन स्थल
- रेशम — बुरहानपुर तथा बालाघाट (मध्यप्रदेश)
- चिंट्स — केम्बे
- जटामांसी — बंगाल
- चंदन — कोरोमंडल
- पुर्तगाली — सन् 1498 ई.
- डच — सन् 1602 ई.
- अंग्रेज़ — सन् 1612 ई.
- डेन — सन् 1616 ई.
- फ्रांसीसी — सन् 1664 ई.
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